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Sunday, August 16, 2009

परहित

जो कोऊ आप आस तक आवै ,बन आवै सो कीजे
जो कोऊ आपन लागो लिपटो , दया सबन पर कीजे
यही मंत्र औ जोग - जुगत है , दुःख नही काऊ देनें
सौ बातन की बात एक है , नाम धनी को लेनें
By:-
My Great Grand Father
Late. Pt. Shri Rambharosh Nayak
AYURVEDACHARYA, Regd. No 1918
Class-A,Indian Medicine Board Of Lucknow(U.P)